Ananya Pandey

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स्वामी विवेकानन्द और शिक्षा -12-Jan-2022

स्वामी विवेकानन्द और शिक्षा

प्रस्तावना - स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म १२ जनवरी सन् १८६३ ई० में कलकत्ता के प्रमुख दत्त परिवार में हुआ था। बचपन का इनका नाम नरेंद्रनाथ था परिवार के लोग इन्हें नरेन बुलाते थे। इनके पिता का नाम श्री विश्वनाथ दत्त बांग्ला के साथ अंग्रेजी तथा फारसी के उदभट विद्वान थे। स्वामी विवेकानन्द की माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था जो धार्मिक प्रवृत्ति की थी तथा उन्हें रामायण और महाभारत कंठस्थ थे। वो बहुत ही भक्तिमय और विदूषी नारी थी।नरेन को अपनी माता से रामायण और महाभारत जैसे प्रेरक कथाये अपनी माता से सुन ने को प्राप्त हुआ।

विवेकानंद के अनुसार शिक्षा क्या हैं : -

स्वामी विवेकानन्द ने शिक्षा की परिभाषा देते हुए कहा है की  "शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए - मनुष्य में अंतनीहित पूर्णता की अभिव्यक्ति!" उनके ये शब्द आज भी लोगो के दिलों में बसते है। और शिक्षाशास्त्रियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने है। एक बार उन्होंने कहा था_ "मैं किसी बात का कभी भी परिभाषा नही करता हूं। फिर भी शिक्षा की व्याख्या शक्ति के विकास के रुप में की जा सकती है।" शिक्षा मानव को मानवीय  गुणों से सम्पन्न करती हैं।

विवेकानंद के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य :- 

(१) मन की शक्तियों का विकास - स्वामीजी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मानव के अन्दर सभी प्रकार की शक्तियां जन्मजात होती है। शिक्षा उस क्षमता भंडार का द्वार खोल देती है। अतः शिक्षा मानव के अन्दर के गुणों के विकास में सहायता करती हैं।
(२) चरित्र का निर्माण :- चरित्र इंसान का सबसे बड़ा गुण है कहा भी जाता है, की - "यदि धन गया तो कुछ नहीं गया। चरित्रहीन मानव बिन आत्मा के निष्प्राण होता हैं। अतः चरित्र निर्माण शिक्षा का एक प्रमुख उद्देश्य है।
(३) मानवीय गुणों का विकास :- मानव शरीर में यदि मानवीय गुणों का विकास न हुआ तो वह पशुवत है। मानवीय गुणों में सबसे पहला है, आत्मविश्वास का गुण। इसके बिना मानव कोई कार्य नहीं कर सकता है। इसके बिना नेतृत्वशक्ति का अंकुरण ही नहीं हो सकता, जिसमें आत्मशक्ति ना हो वह क्या नेतृत्व करेगा। ममता, निर्भीकता, निर्णयशक्ति , निष्पक्षता , एक ऐसे गुण है। जिन्हे ग्रहण कर के ही मानवता सार्थक होती हैं । जो अन्याय के खिलाफ नही झूका , वहीं शिक्षित हैं। ऐसे ही गुणों के विकास में शिक्षा की सार्थकता हैं।
(४) मानव निर्माण :- शिक्षा का सबसे महान उद्देश्य है, मानव के सम्यक स्वाभाविक निर्माण । वह शिक्षा ही क्या जिसे पाने के बाद मानव हैवान बन जाएं । अतः सबल, सक्षम, सुविकसित तथा प्रबुद्ध मानव का निर्माण ही तो शिक्षा का मूल उद्देश्य है।
(५) मानव की इच्छाओं का विकास :- यह सत्य है कि मानव मात्र एक मांस पिंड नहीं। सिर्फ शारीरिक शक्ति ही नहीं मनुष्य के जीवन में आवश्यक है। मन स्थिर होना भी आवश्यक है। अतः स्वामिजी ने कहा है, "शिक्षा का परम उद्देश्य है इच्छा हैं इच्छा शक्ति का विकास है।
(६) विचारशक्ति का विकास : - विचारशक्ति का वरदान ही मानव को पशु से उच्चतम दर्जा प्राप्त हुआ है। विचारशक्ति के द्वारा ही मनुष्य को अच्छे, बुरे, ऊंचे, नीचे, न्याय, अन्याय, धर्म, अधर्म का अंतर करने में समर्थ हो पाता है। विचार का ही विकसित रूप विवेक है। विचार तथा विवेक का मेल ही तो मानवीय शिक्षा का प्रकाश स्तंभ है।
(७) विज्ञान तथा तकनीकी का विकास :- विज्ञान की उपलब्धियों , एवं उसकी प्रगति के साथ अपने को संबंध करना आधुनिक जीवन के लिए अत्यावश्यक हो गया है।अतयव आधुनिक शिक्षा का उद्देश्य विज्ञान तथा तकनीकी ज्ञान का विकास भी है।

विवेकानंद द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के तत्व : - 
(क) ज्ञान मनुष्य में स्वभाव सिद्ध हैं : - वस्तुतः मनुष्य में कोई भी ज्ञान बाहर से नहीं आता। वह तो उनके अन्दर मूल रुप से स्थिर होता । स्वामीजी ने भी कहा है - "मनुष्य को अंतनिर्हित पूर्णता को अभिव्यक्ति प्रदान करना ही वास्तविक शिक्षा है।
(ख) बच्चे स्वयं अपने को सिखाते है :- वस्तुतः हम में से हर लोग अपने आपको सिखाने का कार्य करते है । बाहर के गुरु तो केवल सुझाव देते है। प्रेरणा प्रदान करते है। विषय अथवा ज्ञान हमारे अनुभव द्वारा स्पष्ट होते है। सच तो यह है की उनकी अनुभूति हम अपने आत्मा में करने लगते है। जिस प्रकार एक नन्हे बीज से विशाल वृक्ष उत्पन्न होता है। माली मात्र उसे मिट्टी , हवा, पानी, अथवा बाह्य पोषण देता है। बढ़ने , फैलने तथा फलने का कार्य तो बीज स्वयं करता है। इसी प्रकार बच्चे स्वयं सीखते है। गुरु तो मात्र उदबोधन तथा अनुकूल वातावरण उपस्थित करता है।
(ग) स्वतंत्र अवसर - आज कल लोग बच्चों को मार पीट कर शिक्षित करना चाहते हैं, यह न केवल अन्याय है बल्कि अमानवीय भी है। इस प्रकार शिक्षा प्रदान भी नहीं की जा सकती है, माता पिता के अनुचित दबाव बच्चों के लिए खतरा हो सकता है, अतः बच्चों के अन्दर छुपे कला को बाहर निकाल कर उसे विकसित करना ही शिक्षा है।
(घ) विधायक विचार : बच्चो के समुचित शिक्षा के लिए हमे उनके सामने विधायक विचार रखना चाहिए ।उनके सामने कभी भी ऐसे विचार नही रखने चहिए जिसे करने में उन्हें रुचि ना हो। यह बहुत ही खतरनाक होता है,हम ऐसा देखते है की माता पिता अपने बच्चों के पीछे लगे रहते है हमेशा कहते है तुम पढ़ते नहीं हो कभी कुछ नही कर सकते गधे ही बने रहो, वैसी स्थिति में बच्चे गधे ही बने रहते है,उनके मन में ये बात बैठ जाती है की वो कभी कुछ नहीं कर सकते है। अतः बच्चों के मन में उत्साह भरे पढ़ने के लिए , हर अच्छे काम जो वो करना चाहते है उन्हे करने के लिए प्रेरित करें तभी वो अपने पैरों पर खड़ा होना सिख सकेंगे।
(च) स्वाधीनता, विकास की पहली शर्त है :- स्वाधीनता, विकास की पहली शर्त है, अतः शिक्षा का अधिकार हर किसी को है चाहे वो नारी हो या पुरुष, अतः शिक्षा पाने से ही इंसान में बुद्धि का विकास होगा और वो अपने हर कार्य को करने के लिए स्वाधीन होगा।

विवेकानंद की दृष्टि में नारी शिक्षा
भारतीय नारियों की दयनीय दशा से  स्वामी जी अत्यंत दुःखी थे । भारत में नारी और पुरुष के बीच व्याप्त अन्तर की आलोचना करते हुए कहा था। की सभी प्राणियों में वही एक आत्मा विद्यमान है। इसलिए नारियों के ऊपर अनुचित नियंत्रण अवांछनीय हैं। उन्होंने नारी को पुरुष के समकक्ष स्थान देते हुए कहा कि जिस देश में नारी का सम्मान नहीं होता, वह देश कभी भी उन्नति नहीं कर सकता । अगर देखा जाए तो भारत के पतन और अवनति का एक प्रमुख कारण नारियों की अशिक्षा है। स्वामी जी का विचार था की लड़के तथा लड़कियों दोनों को ही पुस्तकीय शिक्षा के अलावा चरित्र की भी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए जिससे समाज में समानता और सदाचार का वातावरण फैला रहे । इससे नारियों का मानसिक बल की वृद्धि हो बौद्धिक विकास होता है तथा अपने पैरों पर खड़ी हो पाती है।
नारी शक्ति की सजीव प्रतिभा है। जहां स्त्रीयों का सम्मान होता है। वहा देवता प्रसन्न रहते है और जहां उनका आदर नहीं होता वहा सारे कार्य और प्रयत्न निष्फल हो जाते है। जहां तक भारतीय नारी का प्रश्न है।? उसमे सावित्री जो यमराज से अपने पति को छिन लाये वैसी स्त्रीयों का विकास शिक्षा द्वारा ही हो सकता है। नारियों का शिक्षा केंद्र कर्म है। धार्मिक शिक्षा , चरित्र गढ़न , और ब्रह्मचर्य पालन इन्ही पर अधिक ध्यान केंद्रित होना चाहिए इनका चरित्र सीता जैसा आदर्श होना चाहिए उन्हें त्याग की शिक्षा दी जाए । आधुनिक शिक्षा में उन्हें आत्मरक्षा के उपाय भी सिखने चहिए।
समय आने पर उन्हें आर्दश माता भी बनना चाहिए, शिक्षित और धर्म विदुषी महिला के ही गर्भ से महापुरुष जन्म लेते है। नारियों की उन्नति से ही देश, समाज,और हमारी संस्कृति का भी विकास होता है।
नारियों को शिक्षा कार्य भी हाथ में लेना चाहिए, स्वामी जी कहते है की सुशिक्षित और चरित्रवती नारी द्वारा शिक्षा दी जा सकती है। ग्रामों और शहरो में शिक्षा का केंद्र खोल कर शिक्षा का प्रचार प्रसार कर सकती है, बालिकाओं को इस प्रकार शिक्षा दी जानी चाहिए की उनका चरित्र निर्माण हो सके, बुद्धि का विकास हो और पवित्रता उनकी शिक्षा का प्रमुख केंद्र हो। स्वामी जी का मानना था की नारी शिक्षा में स्वास्थ्य शिक्षा को प्रमुखता से स्थान देना चाहिए। उनका मानना था की स्वास्थ्य के अभाव में नारी शिक्षा लेने में असमर्थ हो जाती है।
वस्तुतः आज जो सभी राष्ट्र का विकास हो रहा है वहा नारियों का उचित सम्मान है , देश जो  राष्ट्र स्त्रियों का आदर नहीं करते, वे कभी बड़े नहीं हो सकते , ईश्वर की शक्ति भी नारी ही है । यह सही है की ।

"यत्र नर्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र  देवताः
आज स्त्रियों की अनेक अपनी समस्याएं है । समाधान का अवसर स्वयं स्त्रियों को ही प्रदान करने की आवश्यकता है।
आज स्त्री शिक्षा मूलाधार होना चाहिए त्याग का गुण। जिसमे त्याग का गुण नही आया वह नारी आर्दश नहीं हो सकती। इतना नहीं उसमे शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य  और आत्मरक्षा की क्षमता का ज्ञान होना चाहिए।
निष्कर्ष :- हमारे राष्ट्र की आत्मा झोपड़ियों में निवास करती है। अतः शिक्षा के द्वारा हम घर घर में रोशनी फैला सकते है, जिसके प्रकाश से समस्त मानव का विकास हो सके । तथा शिक्षा सबके लिए समान हो तभी भारत में जन सामान्य के साथ साथ नारियों का भी विकास होता है।
संदर्भ ग्रंथ - (१)डाॅ संतोष यादव :- स्वामी विवेकानन्द के नारी शिक्षा से संबंधित शैक्षिक विचार
(२) चौबे.डाॅ.सरजू प्रसाद :- भारतीय शिक्षा दर्शन
(३) पाण्डेय.डाॅ.रामशकल : विश्व के महान शिक्षा शास्त्री
(४) लाल रमन बिहारी : शिक्षा के दार्शनिक एवं समाजशास्त्रीय सिद्धांत रस्तोगी , पब्लिकेशन शिवाजी रोड मेरठ ।

प्रिया पाण्डेय "रोशनी"
हुगली, पश्चिम बंगाल

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

26-Jan-2022 01:06 AM

बहुत ही अच्छा लेख

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Simran Bhagat

12-Jan-2022 04:44 PM

Very good👍👍

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